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भारुडे|
बुलबुल - लखो बुलबुल है । दावोजी मु...
भारुड - बुलबुल - लखो बुलबुल है । दावोजी मु...
भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.
लखो बुलबुल है । दावोजी मुबारखो ॥ ध्रु० ॥
झटा तेरा जप भात रोटी गप । सद्गुरुमें छप । तुझ काल करेगा गप ॥ १ ॥
लगो मुख लिया नाम । आंदर भरा है काम । ऐसा केंव हुवा बेफाम । तुझ कांहा मिलेगा राम ॥ २ ॥
मोकूं आंगकूं लगाया राख दिलमो नापाक । ऐसा देखे लख । एका जनादर्नीं देख ॥ ३ ॥
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Last Updated : November 10, 2013

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