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भज मन रामचरन सुखदाई ॥ध्र...

भजन - भज मन रामचरन सुखदाई ॥ध्र...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


भज मन रामचरन सुखदाई ॥ध्रु०॥

जिहि चरननसे निकसी सुरसरि संकर जटा समाई ।

जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई ॥

जिन चरननकी चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई ।

सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई ॥

सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई ।

सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई ॥

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन त्रास मिटाई ।

सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी कनक मृगा सँग धाई ॥

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल तिन जय छत्र फिराई ।

रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई ॥

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक सेष सहस मुख गाई ।

तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥

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Last Updated : December 15, 2007

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