हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह २| बिनती भरत करत कर जोरे । ... भजन संग्रह २ ते नर नरकरूप जीवत जग , भ... मन माधवको नेकु निहारहि । ... सुनु मन मूढ़ सिखावन मेरो ।... कबहूँ मन बिस्त्राम न मान्... रामसे प्रीतम की प्रीति रह... जो मन लागै रामचरन अस । द... भज मन रामचरन सुखदाई ॥ध्र... अब लौं नसानी , अब न नसैहो... मन पछितैहै अवसर बीते । द... लाभ कहा मानुष -तनु पाये ।... जानकी जीवनकी बलि जैहों । ... जो मोहि राम लागते मीठे । ... अस कछु समुझि परत रघुराया ... जागिये रघुनाथ कुँवर पंछी ... जागिये कृपानिधान जानराय ,... झूलत राम पालने सोहैं । भ... राम -पद -पदुम पराग परी । ... सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठ... मनोहरताको मानो ऐन । स्य... बहुत दिन बीते सुधि कछु न ... भाई ! हौं अवध कहा रहि लै... रघुपति ! मोहिं संग किन ल... बिनती भरत करत कर जोरे । ... कर सर धनु , कटि रुचिर निष... राघौ गीध गोद करि लीन्हौ ।... पद -पद्म गरीबनिवाजके । द... दीन -हित बिरद पुराननि गाय... सत्य कहौं मेरो सहज सुभाउ ... कब देखौंगी नयन वह मधुर मू... बैठी सगुन मनावति माता । ... जानत प्रीति -रीति रघुराई ... रघुपति राजीवनयन ,सोभातनु ... सखि ! रघुनाथ -रूप निहारु... मोकहँ झूठेहु दोष लगावहिं ... गोकुल प्रीति नित नई जानि ... हरि को ललित बदन निहारु !... टेरि कान्ह गोवर्धन चढ़ि गै... गोपाल गोकुल -बल्लभी -प्रि... भजन - बिनती भरत करत कर जोरे । ... तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की । Tags : bhajantulsidasतुलसीदासभजन भजन ( राग केदारा ) Translation - भाषांतर बिनती भरत करत कर जोरे । दिनबन्धु दीनता दीनकी कबहुँ परै जनि भोरे ॥१॥ तुम्हसे तुम्हहिं नाथ मोको, मोसे, जन तुम्हहि बहुतेरे । इहै जानि पहिचानि प्रीति छमिये अघ औगुन मेरे ॥२॥ यों कहि सीय-राम-पाँयन परि लखन लाइ उर लीन्हें । पुलक सरीर नीर भरि लोचन कहत प्रेम पन कीन्हें ॥३॥ तुलसी बीते अवधि प्रथम दिन जो रघुबीर न ऐहौ । तो प्रभु-चरन-सरोज-सपथ जीवत परिजनहि न पैहौ ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : December 15, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP