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सखि ! रघुनाथ -रूप निहारु...

भजन - सखि ! रघुनाथ -रूप निहारु...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


सखि ! रघुनाथ-रूप निहारु ।

सरद-बिधु रबि-सुवन मनसिज-मानभंजनिहारु ॥

स्याम सुभग सरीर जनु मन-काम पूरनिहारु ।

चारु चंदन मनहुँ मरकत सिखर लसत निहारु ॥

रुचिर उर उपबीत राजत, पदिक गजमनिहारु ।

मनहुँ सुरधनु नखत गन बिच तिमिर-भंजनिहारु ॥

बिमल पीत दुकूल दामिनि-दुति, बिनिंदनिहारु ।

बदन सुखमा सदन सोभित मदन-मोहनिहारु ॥

सकल अंग अनूप नहिं कोउ सुकबि बरननिहारु ।

दास तुलसी निरखतहि सुख लहत निरखनिहारु ॥

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Last Updated : December 15, 2007

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