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बैठी सगुन मनावति माता । ...

भजन - बैठी सगुन मनावति माता । ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


बैठी सगुन मनावति माता ।

कब ऐहैं मेरे बाल कुसल घर कहहु काग फुर बाता ॥१॥

दूध भातकी दोनी दैहौं सोने चौंच मढ़ैहौ ।

जब सिय सहित बिलोकि नयन भरि राम-लखन उर लैहौं ॥२॥

अवधि समीप जानि जननी जिय अति आतुर अकुलानी ।

गनक बोलाइ पायँ परि पूछति प्रेम-मगन मृदु बानी ॥३॥

तेहि अवसर कोउ भरत निकट तें समाचार लै आयो ।

प्रभु आगमन सुनत तुलसी मनों मीन मरत जल पायो ॥४॥

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Last Updated : December 15, 2007

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