पद-पद्म गरीबनिवाजके ।
देखिहौं जाइ पाइ लोचन फल हित सुर साधु समाजके ॥१॥
गई बहोर, ओर निरबाहक, साजक बिगरे साजके ।
सबरी-सुखद, गीध-गतिदायक, समन सोक कपिराजके ॥२॥
नाहिन मोहि और कतहूँ कछु जैसे काग जहाजके ।
आयो सरन सुखद पद पंकज चोंथे रावन बाजके ॥३॥
आरति हरन सरन समरथ सब दिन अपनेकी लाजके ।
तुलसी पाहि कहत नत पालक मोहुँसे निपट निकाजके ॥४॥