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श्रावण मास
व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है ।
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श्रावणके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - अशून्यशयनव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - कज्जली तृतीया
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - स्वर्णगौरीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - संकष्टचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - शीतलासप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - कुमारीपूजा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - अमाव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - दूर्वागणपति
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - नागपञ्चमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - पापनाशिनी सप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - दुर्गाव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - पवित्रार्पणविधि
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - दधिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - रक्षाबन्धन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - श्रवणपूजन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - ऋषितर्पण
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण शुक्लपक्ष व्रत - मङ्गला गौरीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रावण मास
श्रावण महिन्यातील महत्वाचे सण - नागपंचमी, राखी पौर्णिमा, गोकुळ अष्टमी(श्रीकृष्ण जयंती) Shravana is the fifth month of Hindu calender.The important festivals of Shravana month are - Naga Panchami, Rakhee Paurnima, Gokul Ashtami(ShreeKrishna Jayanti)
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श्रावण शु. चतुर्थी
Shravana shudha Chaturthi
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श्रावण शु. षष्ठी
Shravana shudha Shashthi
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श्रावण शु. सप्तमी
Shravana shudha Saptami
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श्रावण शु. अष्टमी
Shravana shudha Ashtami
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श्रावण शु. एकादशी
Shravana shudha Ekadashi
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श्रावण शु. द्वादशी
Shravana shudha Dvadashi
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श्रावण शु. त्रयोदशी
Shravana shudha Trayodashi
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श्रावण शुद्ध पक्ष
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श्रावण व. प्रतिपदा
Shravana vadya Pratipada
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श्रावण व. तृतीया
Shravana vadya Tritiya
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श्रावण व. चतुर्थी
Shravana vadya Chaturthi
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श्रावण व. षष्ठी
Shravana vadya Shashthi
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श्रावण व. सप्तमी
Shravana vadya Saptami
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श्रावण व. अष्टमी
Shravana vadya Ashtami
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श्रावण व. नवमी
Shravana vadya Vavami
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श्रावण व. एकादशी
Shravana vadya Ekadashi
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श्रावण व. द्वादशी
Shravana vadya Dvadashi
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श्रावण व. त्रयोदशी
Shravana vadya Trayodashi
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श्रावण अमावस्या
Shravana Amavasya
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श्रावण वद्य पक्ष
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भाद्रपद शु. प्रतिपदा
Bhadrapada shudha Pratipada
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श्रावण मास
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध २
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ३
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ५
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ६
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ७
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ८
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ९
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १०
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध ११
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १२
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १३
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण शुद्ध १५
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य १
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य २
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ३
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ५
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ६
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ७
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ८
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ९
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य १०
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ११
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य १२
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य १३
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य १४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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श्रावण वद्य ३०
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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मंगळागौरी व्रत
मंगळागौरी, नववधूने सुखी संसारासाठी करावयाचे पार्वतीचे व्रत आहे.
लग्न झाल्यावर सासरी नववधू पहिल्या श्रावण महिन्यात प्रत्येक मंगळवारी हे मंगळागौरीचे व्रत भक्तिभावाने करते. हे पार्वतीचे व्रत आहे. या दिवशी घरासमोर रांगोळी काढतात, दाराला तोरण बांधतात. कुटुंबातील स्त्रिया, नातेवाईक मैत्रीणी एकत्र जमून देवीची पूजा करून, रात्रभर खेळ खेळतात, गाणी म्हणतात, स्वादिष्ट भोजन करतात. नववधू सुहासिनींना सौभाग्यालंकार वाटते. या समारंभामुळे नववधूला सासरकडील नवीन नातेवाईक, इतरजनांची ओळख होते. या पूजेत सासर माहेरकडील सर्व मंडळी नातेवाईक, स्त्रिया भाग घेतात.
MANGALAGAURI: A festival of newly married girlDuring the first year after her marriage, every bride celebrates all the festivals in the calendar with great enthusiasm. Almost every festival sees her back with her parents to relive the joys of her childhood with her friends once again. Festive days are her chance to entertain her friends, get to know her new relatives and bring her own and her new husband's families together in an atmosphere of joy and celebration. Both her families pamper her with gifts of clothing and jewellery on the more important festivals.Mangalagauri pooia, which is specially designed for every newly married bride is the worship of Mangalagauri, performed every Tuesday in the month of Shravan. Mangalagauri is a festive manifestation of Parvati. Women from the family get together with friends of all ages and spend the night playing games, dancing, singing and eating the feast made for the occasion. Saubhagyalankar, like bangles, kumkum and other adornments inseparable from such festivals, are distributed to all women. On every Tuesday of the first Shravan after her marriage, a bride worships her home by decorating its entrance with rangoli and flowers. It is a time of fun for every young girl. A woman's presence in a house is considered auspicious.
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