संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|प्रभासखण्ड|प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम्| अध्याय ४३ प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम् विषयानुक्रमणिका अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अर्बुदखण्डम् - अध्याय ४३ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय ४३ Translation - भाषांतर ॥ पुलस्त्य उवाच ॥ततो गच्छेन्नृपश्रेष्ठ सिद्धलिंगं सुसिद्धिदम्॥सिद्धैस्तु स्थापितं लिंगं सर्वपातकनाशनम् ॥१॥तत्रास्ति शोभनं कुण्डं सुनिर्मलजलान्वितम्॥तत्र स्नातो नरः सम्यङ्मुच्यते ब्रह्महत्यया ॥२॥यंयं काममभिध्यायंस्तत्र स्नाति नरो नृप॥अवश्यं तमवाप्नोति निष्ठांते च परां गतिम् ॥३॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां सप्तमे प्रभासखण्डे तृतीयेऽर्बुदखण्डे सिद्धेश्वरमहिमवर्णनंनाम त्रयश्चत्वारिंशोऽध्यायः॥४३॥ N/A References : N/A Last Updated : February 03, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP