नवीन संन्यास - उत्साहसिंधु थोर। चित्तात ...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
उत्साहसिंधु थोर। चित्तात नाचवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास हालवील
मालिन्य संहरुन। स्फूर्तीस पेटवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास चेतवील
कर्मात रंगुनिया। लोकांस रंगवील
संन्यास हा नवीन। आलस्य घालवील
सेवेत राबुनिया। लोकांस राबवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास शोभवील
सेवेत रंगुनिया। वस्त्रे न रंगवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास जागवील
दास्यास दूर करुन। चैतन्य खेळवील
संन्यास हा नवीन। मोक्षास पाववील
राष्ट्रास उद्धरील। दैन्यास भंगवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास हासवील
क्षण एक ना बसेल। बंधूस जीववील
संन्यास हा नवीन। देशास भूषवील
बांधील कारखाने। शाळा उभारवील
संन्यास हा नवीन। राष्ट्रास वाचवील
रस्ते करील नीट। संडास साफ करील
संन्यास हा नवीन। घाणीस संहरील
अस्पृश्य बाळकांना। जाऊन तो धुवील
संन्यास हा नवीन। भेदास घालवील
सर्वत्र आत्मतत्त्व। आचारि दाखवील
संन्यास हा नवीन। न वदेल फक्त बोल
गायींस पोषुनिया। भरपूर दूध करील
संन्यास हा नवीन। आरोग्य वाढवील
ऐक्यास निर्मुनिया। सत्प्रेम दाखवील
संन्यास हा नवीन। सत्पंथ शिकवील
राष्ट्रास भूषवील। विश्वास तोषवील
संन्यास हा नवीन। सन्मुक्ति चाखवील
संन्यास हा नवीन। सूत्रांस हालवील
संन्यास हा नवीन। संसार चालवील
राहूनिया अ- सक्त। सेवा सदा करील
संन्यास हा नवीन। सत्पंथ हा वरील
-नाशिक तुरुंग, नोव्हेंबर १९३२
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Last Updated : April 20, 2018
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