लाल मुख, ऊंची नासिका, अच्छे परै, हंसयोगमें उत्पन्न हुआ मनुष्य प्रसन्नचित्त, गौर, मोटे, कपोल, लाल नख, हंसकीसी वाणी बोलनेवाला, शंख, कमल, अंकुश, युगल, मत्स्य, खट्वांग ( शस्त्र विशेष ) माला, घट ये चिह्न हाथ पैरोमें शोभित, सहतके समान अरुणनेत्र, उत्तम शिर, जलाशयमें प्रीति करनेवाला, अतिकामी, स्त्रियोंसे तृप्त नहीं होनेवाला, छयासी अंगुल ऊंचे शरीरवाला, छयानवें बरसकी उमरवाला, बाह्लीक, शूरसेन, गन्धर्व, गंगायमुना मध्य इन देशोंका भोग करनेवाला, वनके अन्तमें मृत्युको प्राप्त होता है, प्राचीन मुनीश्वरोंने ऐसा फल हंसयोगका कहा है ॥१-३॥