नरचक्र लिखके जिस नक्षत्रका सूर्य हो उस सहित तीन ३ नक्षत्र मस्तकपर धरै । मुखमें तीन ३ और दोनों स्कंधोंमें एक एक और दोनों भुजाओंमें एक एक तथा दोनों हाथोंमें भी एकही एक धरै और पैरोंमें एक एक धरै, पांच ५ नक्षत्र हदयमें और तोंदीमें एक, गुदामें एक, दोनों गांठियोंमें भी एकही एक रक्खे । दोनों चरणोंमें छः नक्षत्र धरे । इस तरह सूर्यनक्षत्रमें जन्मके नक्षत्रतक गिन जावे । जो चरणोंमें जन्मका नक्षत्र पडै तो दरिद्री और थोडी आयुवाला हो । गाठियोंमें पडै तो विदेश गमन हो, गुदामें हो तो परस्त्रीगामी हो, तोंदीमें हो तो थोडेहीमें प्रसन्न हो, हदयमें पडै तो समर्थ होता है ॥५॥
पाणिमें पडै तो चोर हो, बाहोंमें हो तो च्युत होवै, स्कंधमें हो तो हाथीके कंधेमें चढनेवाला हो, मुखमें हो तो मीठा अन्न भोजन करनेवाला होता है । मस्तकमें पडे तो पट्टबंधी सूर्यके होता है । नक्षत्रसे जन्मके नक्षत्रतक गिनकर जाने । सूर्यचक्रमें जन्मका नक्षत्र मस्तकमें पडै तो सौ वर्ष जीवे, मुखमें पडै तो अस्सी वर्ष और स्कंधोंमें भी अस्सी ही वर्षकी उमर जाने । हाथोंमें अथवा दोनों बाहोंमें पडै तो सत्तर वर्ष, हदयमें तथा नाभिमें पडै तो अडसठ ६८ वर्षकी आयु होवे । गुदामें पडै तो साठ वर्ष, जंधाओंमें आठ वर्ष और पैरोंमें पडे तो छः वर्ष जीवै । इस प्रकार सूर्यचक्रसे आयुर्दाय विचार करना चाहिये ॥६-१०॥