चौदह रेखाओंके योग होनेसे मरण और पापग्रहोंकी पन्द्रह रेखाओंसे मरण होता है, सोलह रेखाओंसे अंगपीडा और पापग्रहोंकी पन्द्रह रेखाओंसे मरण होता है, सोलह रेखाओंसे अंगपीडा और शरीरमें महाव्याधि होती है । सतरह रेखाओंमें दुःख और अठारहमें धनका नाश, उन्नीसमें बान्धव पीडा होती है । बीस रेखामें खर्च और कलह, इक्कीसमें रोग और दुःख, बाईसमें कुमति, दरिद्रता, पराजय और कार्यनाश यह फल होता है । तेईस रेखामें त्रिवर्गहानि, चौबीसमें अकस्मात् धनका नाश होता है ॥१-४॥
पचीस रेखामें हाथका द्रव्यभी नाश होजाता है, छब्बीस रेखामें क्लेश और सत्ताईसमें समानफल होता है । अठ्ठाईस रेखामें धनका आगमन और सुख होता है, उनतीस रेखामें संसारमें पूज्य होता है । तीस रेखामें पुण्यवानकी प्राप्ति हो, इकतीस रेखामें सुन्दर पुण्य सुख मनुष्योंको होता है । छत्तीस रेखाओंमें या इसके उपरान्त अधिक रेखाओंमें राज्यादिफलकी प्राप्ति कहना चाहिये ॥५-८॥