बीस २०, एक १, दो २, नव ९, अठारह १८, बीस २०, पचास ५० यह ध्रुवांक वर्ष सूर्यादिकोंके क्रमसे निसर्गायुमें जानना । तदनंतर स्पष्टग्रहमें अपने अपने ग्रहका परमोच्च राश्यादि हीन करना, फिर शेष यदि छः राशिसे कम हो तौ १२ राशि युक्त करके कम करना, फिर शेष यदि छः राशिसे कम हो तौ १२ राशि युक्त करके कम करना, फिर शेष यदि छः राशिसे कम हो तौ बारह बारह राशिमें घटाकर शेष रखना और जो छः से अधिक बचा हो तौ वैसाही रहने देना तदनंतर ग्रहके अपने ध्रुवकसे शेषको गुण देना और राशिके स्थानमें बारहका भाग देकर वर्ष कर लेना तौ नैसर्गिकायु वर्षादि होवेगी और पिंडायुके समान संस्कार करना तौ स्पष्ट होगी ॥१॥
उदाहरण - रवि ०।८।५३।२० इनमें रविका उच्च ०।१०।०।० हीन किया तो नहीं घटा तौ १२ राशि युक्त करके १२।८।५३।२० में हीन किया तब शेष ११।२८।५३।२० छः राशिसे अधिक रहा । इसको सूर्य उच्च ध्रुवकसे २० गुणा । तब २३९।७।४६।४० भया. राशियों १२ का भाग दिया । तब सूर्यका नैसर्गिकायुवर्षादि १९।११।७।४६।४० हुआ, सूर्य उच्चराशिमें है अतः तिगुना किया तब ५९।९।२३।२० स्पष्टनैसर्गिकायु सूर्यका हुआ ॥