स्थूल होठोंवाला, दुर्बलशरीरवाला, एकसी देह, कहीं खाली नहीं, कमर जिसकी क्षीण, चन्द्रमाकीसी रुचि, अच्छे हाथ नासिका और कपोलवाला, प्रकाशवान्, नेत्र बराबर, सफेद दांत, आजानुबाहु होता है तथा इस मालव्ययोगमें उत्पन्न हुआ मनुष्य सत्तरवर्षकी उमरतक राजसुखको भोग करता है ॥ तेरह अंगुल दीर्घ मुख और कानोंके बीचमें दश अंगुल तिर्यक् ( चौडा ) होता है । इस योगमें पैदा हुआ मनुष्य मालव्यसंज्ञक राजा होता है और निश्चय लाट, मालवा, सिंधु, पारिजात देशोंको भोग करता है ॥१॥२॥