जिस मनुष्यके ग्यारहवें अथवा दशमें वा लग्नमें संपूर्ण ग्रह पडैं तो कारिकायोग होता है । कारिकायोगमें पैदा हुआ मनुष्य नीच होनेपर भी राजा होता है और यदि राजवंशमें उत्पन्न हो तो निःसन्देह राजा होता है ॥१॥२॥
जिस मनुष्यके जन्मकालमें लग्नसे अथवा किसी दूसरे स्थानसे क्रमपूर्वक ग्रह स्थित होनेसे एकावली नामक योग होता है. ऐसे योगमें उत्पन्न हुआ मनुष्य महाराजा होता है ॥३॥
जिसके जन्मकालमें चारों केन्द्र अर्थात् लग्न, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थानोमें शुभग्रह पापग्रह स्थित होंतो चतुःसागर नामक योग होता है, ऐसा योग राज्य और धनका देनेवाला कहा है ॥१॥