अंशादिक ग्रहोंको स्थापित करै अर्थात् राशिको छोडकर शेष स्थापित करै, तदनंतर अंशोंमें दश हीन करदे, फिर शेष राश्यादि तीनोंको तीनसे गुणाकर देवे । फिर गुणन फलको नव्बे ९० अंशोंमें हीन करै । जो शेष रहै उसको विंशोत्तरी ग्रहके निज २ वर्षसे गुणाकर नव्बे ९० का भाग लेय तौ लब्धि वर्षादि अंशायु होगी ॥१॥२॥
उदाहरण - चन्द्र १।१९।५४।५० राशि छोडकर अंशादिस्थापित १९।५४।५० किया अंशोंमें १० घटाया तब ९।५४।५० रहे. इनको ३ से गुणा तब २९।४४।३० हुए । इसको ९० में हीन किया, शेष ६०।१५।३० रहे । अब इनको चन्द्र विंशोत्तरीवर्ष १० से गुणा किया तब ६०२।३५।०० हुए । इनमें ९० का भाग दिया तब लब्धिवर्षादि अंशायु चंद्रमाका ६।८।१९।४० हुआ, इसी प्रकार और ग्रहोंका बनाना चाहिये ॥