बुध, सूर्य, चन्द्रमा और शुक्र अपने स्थानसे तीसरे दशवें नववें पांचवें चौथे आठवें सातवें स्थानको अंशवृद्धि करके देखते है अर्थात् तीसरे दशवें स्थानको एक चरणकरके, नववें पांचवें दो चरणकरके, चौथे आठवें तीन चरणकरके और सातवें चारों चरण अर्थात् पूर्ण दृष्टिसे देखते हैं और इसी क्रमसे बृहस्पति अपने स्थानसे चौथे, आठवें, सातवें, दशवें, तीसरे और नववें पांचवें, दो चरणकरके, चौथे आठवें, तीन चरणकरके सातवें और पूर्ण दृष्टिकरके तीसरे दशवें, स्थानको देखता है मंगल, एक चरणकरके सातवें, दो चरणकरके तीसरे दशवें, तीन चरणकरके नववें पांचवें और पूर्ण दृष्टि करके चौथे आठवें स्थानको देखता है । विषम सातवीं चौथी आठवीं नववीं पांचवीं दृष्टिको ज्योतिषशास्त्रके निपुण जनोंने चक्रदृष्टि कहा है । ग्यारहवें, बारहवें दूसरे लग्न छठे स्थानको ग्रह नहीं देखते हैं ये अंधक ग्रह जानना चाहिये ॥१-४॥