भाई अपना कोई हैं साथी ।
भजनबिना जनम न टूटे क्या करेगी पोथी ॥ध्रु०॥
जबलगा काया तबलग छाया दिनका भयो उजाला ।
बूझ जायगी काया आपनी कई है रखनेवाला ॥१॥
बडे बडे जपी तपी पडे कालके फांसी ।
आपनी जान चूवा वैसी बिल्ली ली जावे चूपशी ॥२॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु राम जपो निर्बानी ।
दया शांति दिलमो रखो जैसें निर्मल गंगापानी ॥३॥