मुझे न दिलसे भूल प्यारे राम मुझे ॥ टेक ॥
सियाही गई सफेदी आई चलना है बडी दूर ॥१॥
डार डारमें पात पातमें तुमही रंगीला फूल ॥२॥
है हुजूर न हरी नहीं न दूर दिलकी दूरमती भूल ॥३॥
गोपिचंद भरथरि राजा सिरमें डारे धूल ॥४॥
सेख फरिद कुवामें लटके हो गये चकनाचूर ॥५॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु हरिचरन मत भूल ॥६॥