भजले राम दयाघनकू । समज ले झूटी मायाकू ॥ध्रु०॥
चार दिनका रहेना बाबा शोक करे क्या हुवे ।
बडे बडेके हलाव देखे चंद्र सुरज दो जावे ॥१॥
स्वर्ग मृत्यू पाताल रहे नहीं पंचभूत धुलधानी ।
जिस माईके खटाटोपके आखर गर्द निशानी ॥२॥
जाहां हुवे तहां मीटजावेगा बेद कहे ये बानी ।
कहत कबीरा रामनामबिन और नहीं मनी मानी ॥३॥