हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे ५१ से १००| भलाई करते बुराई होती तोबी... कबीर के दोहे ५१ से १०० मादर पिदर बिरादर फरजन सुन... संगत मत करना खोटी । दुनिय... भाई अपना कोई हैं साथी । ... दुखमें कोई न आवे काम । बि... जो देखे सो दुखिया बाबा सु... चलते प्रान कैसे सोइरे काय... समज उमज कर पग रख नहीं तो ... बकवा मत करना बे । खुदाका ... हर हर क्या भूला जग सारा ।... बेद शास्तरका बडा विचार । ... सुनले झटका मायेका डुबाया ... राम जपो राम जपो राम जपोरे... राम द्वाही राम द्वाही राम... हरिसे कोई नहीं बडा । दिवा... वोही राम पछानोजी । मेरा क... तेरे दिलकी पछान मुजे देना... ये कलजुगका फेरा यारो खबरद... देखो हुरमतया संसारकी ॥ध्र... मुझे न दिलसे भूल प्यारे र... रामनामबिना हमे न जानो । औ... भाई हुशार रहनाबे खुदाका न... भजले राम दयाघनकू । समज ले... किसिका महेल किसिकी जिंदगी... बंदे हुशार रहना बे । साहे... बंदे क्यों भूलाजी क्यौं भ... पस्तावेगेरे मनवा राम समरल... तूं नेकी करले दो दिनका मे... अब तुम गाफल मत रहनाबे । ज... जोबन धन ठगरही यारो कोई मत... तै क्यां भूल्यो बनजारे । ... संतो भाई हारीबिन कोई नहीं... ये नहीं कछु तेरा मत कर मे... मोहे डर रहे उस दिनका ॥ध्र... सबही मिले संसार । भ्रमर उ... परनारीसे मत देख परद्रव्यस... भलाई करते बुराई होती तोबी... राम नामसे फत्तर तरे । तूं... भूल्यो मन भ्रमरा तूं कांह... खलक सब रेनका सपना । समज म... राम भरोंसो राखिये अपने मन... मेरा मन रामनामसे लागा । म... रामनाम मनकी आशा पाऊं । तो... भलो डाव बनो है भज मन राम ... मन भजले श्रीभगवंता । तेरा... मनरे तूं राम बिन दुःख पाव... मन स्थिर न रहे बाबा न रहे... मनको मार रखो भाई । मनको म... दिवाने मन कौन तेरा साथी ॥... मनरे आगम तिरथकु चलना ॥ध्र... समज बूझ मन खोज दिवाने आशक... पस्तावेगेरे मनवा राम समरल... तूं नेकी करले दो दिनका मे... अब तुम गाफल मत रहनाबे । ज... जोबन धन ठगरही यारो कोई मत... तै क्यां भूल्यो बनजारे । ... संतो भाई हारीबिन कोई नहीं... ये नहीं कछु तेरा मत कर मे... मोहे डर रहे उस दिनका ॥ध्र... सबही मिले संसार । भ्रमर उ... परनारीसे मत देख परद्रव्यस... भलाई करते बुराई होती तोबी... राम नामसे फत्तर तरे । तूं... भूल्यो मन भ्रमरा तूं कांह... खलक सब रेनका सपना । समज म... राम भरोंसो राखिये अपने मन... मेरा मन रामनामसे लागा । म... रामनाम मनकी आशा पाऊं । तो... भलो डाव बनो है भज मन राम ... मन भजले श्रीभगवंता । तेरा... मनरे तूं राम बिन दुःख पाव... मन स्थिर न रहे बाबा न रहे... मनको मार रखो भाई । मनको म... दिवाने मन कौन तेरा साथी ॥... मनरे आगम तिरथकु चलना ॥ध्र... समज बूझ मन खोज दिवाने आशक... कबीर के दोहे - भलाई करते बुराई होती तोबी... कबीर के दोहे हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi". Tags : dohekabirकबीरदोहे कबीर के दोहे Translation - भाषांतर भलाई करते बुराई होती तोबी भलाई करना । बाल बालकी झडती यारो आंग आंगसे देना ॥ध्रु०॥ एक पलंगपर दो बैठ एक जागा एक सोया । अनुहातकी नोबत बाजे चोर कहांसे आया ॥१॥ शहर म्याने तेजी छुटा कसबू हो पुकार । दस दरवाजे बंद रहे तब निकल गये अस्वार ॥२॥ मा कहेती मेरा मेरा बाप कहे तेरा कहत कबीरा । सुन भाई साधु नहीं घर तेरा मेरा ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : January 07, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP