तेरे दिलकी पछान मुजे देना ॥ध्रु०॥
कौन रस्तेसे आते जाते कौन जगापर ठाना ।
किस कैसा तुम खाते पीते कौन करे सन्माना ॥१॥
किस कैसा तुम सोता भाई । कांहा चली दिनमाना ।
कौन तुमारा मुशरद मौला कौन पढावे कुराना ॥२॥
कहत कबीरा सुन भाई कर अल्लाका पछाना ।
गुरु दत्तकी बानी बोले कर नारायनका ध्याना ॥३॥