समज उमज कर पग रख नहीं तो आगे मुष्कील है ।
गुजरान करो गरिबीसे बाबा मगरूरीसे धोका है ॥१॥
नरतनु गयो तो पस्तावेगा फेर सुधारन लंबा है ।
कीटक पंचक खर सुखरमें बहुत जनमका फेरा है ॥२॥
ये तनु अच्छी सबसे खाशी खावे पीवे आरामसे ।
शालदुशाला जोरु बच्चे भुलना नही गजबाजसे ॥३॥
भूल जावे तो भीक न मीले लंगोट नहीं मिलनेकी ।
जमदूतका सिरपर सोटा बडी बात नहीं होनेकी ॥४॥
चार खूंट जहागीर हमारी फेर नहीं कुच खानेकू ।
कहना हुशार तुमकू करकर घर घर फेरी काहेकू ॥५॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु हुशार होना अच्छा है ।
ना सुने तो सोटा मारूं हमकू गरज कहाँ तेरी है ॥६॥