राम जपो राम जपो राम जपोरे । भव जल पार तरो रे ॥ध्रु०॥
अंबर जावे धरनी जावे जावे सुरज चंदा ।
जितना देखे उतना जावे पिछे ना रहे कुंदा ॥१॥
काया जावे माया जावे जावे तिनो लोक ।
गंगाजमुना सागर जावे कांहा करे जन सोक ॥२॥
मा बाप बहन भाई जोरू लरके लोक ।
जबलग संपत तबलग साती अवसर न मिले लोक ॥३॥
बेद न जानू शास्तर न जानू जानू तेरा नाम ।
कहत कबीर दास तुमारा प्रीत करो मुजे राम ॥४॥