सबही मिले संसार । भ्रमर उडो जायेगे ।
तेरी भक्ति बिना भगवान् । जन्म फिठायगे ॥१॥
कहांसे आया जीव कहां मील जायगे ।
जीव करे पयपान । मुवा कहां पायेगे ॥२॥
सत्य लोकसे आये जीव । त्रिगुणमें समायगे ।
भूलगये ये देश मायामें लपटायगे ॥३॥
नहीं तेरे ग्राम नहीं तेरे ठिकाण रहायगे ।
नहीं पूर पाटना । सबही लोक बढाईखोर ।
साथ नहीं होय आयगे ॥४॥
दास कबीरजीके मंगल हंसा पायेगे ।
हंस चले सतलोक । बहोर नहीं आयगे ॥५॥