तूं नेकी करले दो दिनका मेजवान बे । मनवा ह्यां तो दो दिनकी गुजरान बे ॥ध्रु०॥
कहांसे आया कहां जायेगा तनु छुटा मन कहां रहेगा ।
मत करना अभिमान बे तूं नेकी करले ॥१॥
कोई दिन भूखा सुखा रांधा कोई दिन दूध मलिदा रांधा ।
कोई दिन छोडे तान बे तूं नेकी०॥२॥
कोई दिन शाल दुशाला आंगे कोई दिन तुटा फुटा नंगे ।
कोई दिन भोगे हाल बे तूं नेकी कर ॥३॥
कोई दिन बारा बगीचा बाडी कोई दिन जंगल भिक्षा उजाडी ।
जागत कबीर मसतान बी । तूं नेकी कर ॥४॥