देखो हुरमतया संसारकी ॥ध्रु०॥
अरे जैसो हिरो हातमें छांड दिनो बांधी मुठी बेगारकी ॥ देखो०॥१॥
कोई खेती कोई बनज लागे कोईकूं हांस ये हथियारकी ॥२॥
उग धूयमें दीस गुमावे सुध बिसारी है किरतारकी ॥३॥
जान बुजकर पंथ चलत है सुन सुन बात गभारकी ॥४॥
अपने हाथ गले बिचडाले ये फांसी है मायाजालकी ॥५॥
सो सो बल तुजकूं कहेतांहू मुजे सोंगने है सुरजहारकी ॥६॥
कहत कबीरा तोरी काया बिनस जावेगी पलमें जैसी माया ॥७॥