मन भजले श्रीभगवंता । तेरा गुरुबीन नहीं कोई भिंतारे ॥ध्रु०॥
रामनामकी खुंटी गाडकर चांद सुरजका तंतारे ।
चढते उतरते दमकी खबर रख पहुचेगा गुनीवंतारे ॥१॥
मुखसे राम कहो कर सो काम मकङीके जालेमें तंतारे ।
ये जिंदगानी है थोरे दिननकी फेर नहीं आना बनतारे ॥२॥
साईका मारग दूर कठन है राहा बाट नहीं मिलतारे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु पहुचेगा संतवंतारे ॥३॥