मोहे डर रहे उस दिनका ॥ध्रु०॥
एक दिन साई तुजे पकर मंगवे लेखा मागे दिन दिनका ॥१॥
घडी घडिका हिसाब मांगे अब दे ना सकू एक पलका ॥ मोहे डर०॥२॥
झोका लागे घरही पडे जैसे तनखेसे है तनखा ।
मोहे जीवन थोरो है आस बहु तेरी ज्यों जलबिच कनका ॥ मोहे०॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु जोही जपे सो ओ तिनका ॥ मोहे०॥४॥