अब तुम गाफल मत रहनाबे । जनमका सारथक करनाबे ॥ध्रु०॥
बहु जनम फिरफिर यारो इस तनकूं तूं आया ।
इसमों नेकी ना कियासो व्यर्थ जनम गमाया ॥१॥
जोरू लरके महेल खजाना काहेकू कहते मेरा ।
एक दिन आप मरगया तो रहगया झूट पसारा ॥२॥
चौदा चवकडी राजा रावन लंकाके भूपती ।
सब सुन्नेका गांव जिसका मूमे भरगई मट्टी ॥३॥
ऐसी दवलत ज्यांकी यारो साथ कछु नहीं गया ।
राम नामसे मस्ती किये आखेर आकेला गया ॥४॥
रामनाम बिन सबही झूटा ऐसा समजो भाई ।
सुदा नाम बिना करम नहीं कटे । कहत कबीर जुलाई ॥५॥