जो देखे सो दुखिया बाबा सुखिया कोई नहीरे ॥ध्रु०॥
जोगी दुखिया जंगम दुखिया तपसीकू दुख दुनारे ॥१॥
आशा मनशा सब घट व्यापी कोई महेल नहीं सुनारे ।
राजा दुखिया परजा दुखिया घर बैरागी ।
दुखकारन सुख दे बने उदरी माया त्यागी ॥२॥
साचकहे तो सब जग दुखिया झूट कहे न जाई ।
ब्रह्मा विष्णु संकल दुखिया जिन्ने सृष्टी कमाई ॥३॥
धूत दुखिया अवधूत दुखिया दुखिया है धनरंकारे ।
कहत कबीरा ओ नही दुखिया जिन्ने मनकू जीतारे ॥४॥