जा सखी प्रीतम लावो । घर बेग बुलावो ॥धृ०॥
नयन दीदार तुफानी । दो भवा क्रमानी ॥
भरी भरपूर जवानी । मै भईरी दिवानी ॥
लालकी रीत पछानी । रखी होगी बिरानी ॥
ताको चित खुलावो ॥१॥
छाती चरी है भारी । भई आख खुमारी चित लगी कटयारी ।
पिहू आज दिखारी ॥ नींद न आवे प्यारी ।
करना गत क्यारी ॥ मोहन जलदी मिलावो ॥२॥
बात सुनी सौकनकी । भई अगन तनकी ॥
पीत उठी जब मनकी ।
क्या बुध सजनकी ॥ ज्यानी घर पलछनकी ।
फिर नही आवनकी ॥ अधरा मिरत पिलावो ॥३॥
मदिर क्यारी वरूंगी ।
क्या धीर धरूंगी ॥ पिहु बिन कैसी ठरूंगी ।
बिहासे मरूंगी ॥ महादेव पकरूंगी ।
प्रभाकरसे भिरूंगी ॥ संग मिटाई खिलावो ॥४॥