लावणी - दिलभर दिलदार मुझे मिलावो ...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
दिलभर दिलदार मुझे मिलावो ।
नहितो अफिम खिलावो ॥ध्रु०॥
जालम ये धुंद काम ।
हती ज्यान उसे मुकाम ॥
परदेस किजे निकाम ।
तेजी देख सखी हकाम ॥
अंगिया मेरी सुकाला ।
खाज्या फेर तूज्या पकाला ॥
सुन बात मेरी सखेरी ।
नीचे बैठ झूला हलावो ॥१॥
कहा है तोबी जबाब ।
मत गाव बजाव रबाब ।
नही रहनेका दबाब ॥
कहे आव समालो बाब ।
लिखकर मेरा अर्ज बाब ॥
जलदी मंगाव जबाब ।
प्यारी क्यौं चूपी खडी है ।
जा दौड बमन बुलावो ॥२॥
पिहू यार हतास गावो ।
अब है सो को जगावो ॥
उठमा खबर मंगावो ।
लाल जुंग जुगतसे जुगावो ॥
हाय हाय क्या तीर लगावो ।
हकनाहक पीतम भगावो ।
लिई क्या उधर फुलोरी ।
ऋतु बहार इधर चलावो ॥३॥
तन बाग बंधा हराहै ।
दो गेंदसे खूब भराहै ॥
मूमे मिठाईका झराहै ।
लढ दो हात बंद चिराहै ॥
गंगु हैबती पुराहै ।
उसके उप्पर तो जी धराहै ॥
महादेव कहे मिलारी ।
जा जा प्रभाकर लावो ॥४॥
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Last Updated : January 11, 2008
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