प्रीत लगाके हुई मै दिवानी साजन ।
अबक्या रो रो गई भर ॥ध्रु०॥
काई नही मेर पिहूबिन वाली ।
डेरे एकली क्यौ डाली ॥
दर्द के मारे होती जो काहाली ।
कहू किसे जाके दुख आपनारी ॥
क्या मै किईथी उठ जाके चोरी ॥
अर्जी इतनी सुनो ये हमारी ॥
गया करके वो पूरी बेमानी ॥१॥
नींद नहीरे मंदिर म्याने ॥
तलमलती मै पीतमपीने ॥
करुंगी च्याहसो जो मन माने ॥
पूछो मत प्यारी बात ये दिलकी ॥
ऊठ जा घरकु नही मै कलकी ॥
देख आखूसे मजा घडी पलकी ॥
लेउंगी फकीरी गुसाइकी बानी ॥२॥
उघाडो खजाना सबी माल खोलो ॥
खैरात करुंगी कोई मत बोलो ॥
लडके बाले पीछे ये समालो ॥
बम्मन बुलावो उठो धूंडोजाके ॥
गोकुल मथुरा बैरागी व्हाके ॥
भर भर झोल्या देवो लुटाके ॥
लावो रंगालो कुंडल कफनी ॥३॥
भिमा छोड पाछे गंगाकु न्हाई ॥
रमते हरीदार कासी जगाई ॥
मेहेर खुदाकी मिला आज साई ॥
कहे गंगुहैबती सुनो प्रान प्यारी ॥
हात पकडके दखन ज्यारी ॥
महादेव गुनीकी छब देख न्यारी ॥
प्रभाकर गावत बानी निमानी ॥४॥