पदसंग्रह - चतुष्टय
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
[इंद्रवज्रा गण त, त, ग, ग.]
वीसावलें मानस रामरंगा ॥ कीं गुंतलें चंचळ कामसंगीं ॥
दु:संगसंगें न पडे प्रवाहीं ॥ स्वप्रत्ययें अंतर शोध पाहीं ॥१॥
द्वंद्वीं असे सावध चित्त कैसें ॥ दारादियोगें विचरे विशेषें ॥
सद्य:पकोपी अनुराग नाहीं ॥ स्वप्रत्ययें० ॥२॥
वित्तेषणा लालस देहभोगीं ॥ निर्लोभ निर्मत्सर देह त्यायी ॥
कीं पापकर्मीं मन सेवदांही ॥ स्वप्रत्ययें० ॥३॥
स्वधर्मकर्मीं मन न प्रवर्ते ॥ कीं भक्तिमार्णीं अनुकूल वर्ते ॥
किंवा विचारीं अनुरक्त कांहीं ॥ स्वप्रत्ययें० ॥४॥
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Last Updated : November 11, 2016
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