मराठी मुख्य सूची|भारतीय शास्त्रे|वैद्यक शास्त्र|व्याधिविनिश्चय : उत्तरार्ध| खण्ड दुसरा| मज्जवह, शुक्रवह, मलवह स्त्रोतसें| शुक्रांश्मरी मज्जवह, शुक्रवह, मलवह स्त्रोतसें विषयानुक्रम परिचय शिरोभिघात निद्रा उदावर्त तंद्रा ग्लानी क्लम भ्रम मद मूर्च्छा संन्यास अतत्वाभिनिवेश अपस्मार उन्माद वातव्याधी धनुस्तंभ अपतंत्रक अपतानक आक्षेपक मन्यास्तंभ अर्दित पक्षवध खंज पंगू कलायखंज गृघ्रसी विश्वाचि खल्ली हनुस्तंभ (हनुग्रह) जिव्हास्तंभ मूक मिन्मिन गद्गद् असंशोष अवबाहुक वेपथू - कंप पादहर्ष कुब्ज आवृत वात परिचय शुक्र-निग्रहज-उदावर्त शुक्रगतवात शुक्रावृत वात शुक्रांश्मरी क्लैब्य परिचय बाह्यक्रिमि परिचय मूत्रनिग्रहज उदावर्त मूत्रावृत वात मूत्रशूल बस्तिशूल मूत्रकृच्छ्र तूनि उष्णवात मूत्रसाद मूत्रशुक्र मूत्राघात वातबस्ति वातकुंडलिका मूत्रक्षय परिचय पुरीषनिग्रहज उदावर्त वात निग्रहज उदावर्त पुरीषानाह पुरीषशूल पुरीषावृतवात गुदगतवात पवाशयगतवात वाताष्ठीला पुरीषज कृमी मलावष्टंभ कोष्टक * शुक्रवह स्त्रोतस - शुक्रांश्मरी धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते. Tags : ayurvedmedicinevyadheeआयुर्वेदव्याधी शुक्रांश्मरी Translation - भाषांतर याचें वर्णन शल्य - शालाक्य तंत्रांत बघावें. N/A References : N/A Last Updated : August 08, 2020 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP