मराठी मुख्य सूची|मराठी साहित्य|मराठी व्याकरण|अलंकारदर्श|अर्थालंकार| भावसंधि अर्थालंकार उपमा अनन्वय उपमेयोपमा प्रतीप रुपक परिणाम उल्लेख स्मरण भ्रांतिमान् संदेह अपन्हुति उत्प्रेक्षा अतिशयोक्ति तुल्ययोगिता दीपक आवृत्तिदीपक प्रतिवस्तूपमा दृष्टांत निदर्शना व्यतिरेक सहोक्ति विनोक्ति समासोक्ति परिकर श्लेष अप्रस्तुतप्रशंसा प्रस्तुतांकुर पर्यायोक्त व्याजस्तुती व्याजनिंदा आक्षेप विरोधाभास विशेषोक्ति विभावना असंभव असंगती विषम सम विचित्र अधिक अल्प अन्योन्य विशेष व्याघात कारणमाला एकावली मालादीपक सार यथासंख्य परिवृत्ति पर्याय परिसंख्य विकल्प समुच्चय कारदीपक समाधि प्रत्यनीक काव्यार्थपत्ति काव्यलिंग अर्थांतरन्यास विकस्वर प्रौढोक्ति संभावना मिथ्याध्यवसिति ललित प्रहर्षण विषादन उल्लास अवज्ञा अनुज्ञा लेश मुद्रा रत्नावली तद्रूण पूर्वरुप अतद्रूण अनुगुण मीलित सामान्य उन्मीलीत विशेषक उत्तर सूक्ष्म पिहित व्याजोक्ति गूढोक्ति विवृतोक्ति युक्ति लोकोक्ति छेकोक्ति वक्रोक्ति स्वभावोक्ति भाविक उदात्त अत्युक्ति निरुक्ति प्रतिषेध विधि हेतु प्रत्यक्षप्रमाण अनुमान उपमानप्रमाण शब्दप्रमाण अर्थापत्ति अनुपलब्धि संभव ऐतिह्य अनुकूल आशी रसवत् प्रेय ऊर्जस्वित् समाहित भावोदय भावसंधि भावशबलता संसृष्टि संकर चेतनगुणोक्ति अर्थालंकार - भावसंधि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Tags : grammermarathiअलंकारमराठीव्याकरण भावसंधि Translation - भाषांतर आर्या-जरि हो विरुद्ध - भाव - स्पर्धा तरी भावसंधि त्या ह्मणती ॥ती अंगभूत असतां अलंकृतित्वास पावते हो ती ॥१॥श्लोक-होणार्या विरहश्रमास असहा लोलाक्षितें पाहतां ॥युद्धाडंबर ऐकवीत असतां वीरा तुझा तत्वता ॥भासे एक कपोलभाग पुलकें कामेषुधीचे परी ॥तैसा मंगलपालिके परि दुजा कांतीस तो स्वीकरी ॥२॥येथें स्त्रीविषयी प्रेम व युद्धाविषयीं औत्सुक्य या दोन विरुद्धभावाचा संधि आहे; आणि हा प्रभुविषयक भावाच्या अंगभूत आहे. आर्या-रे सहदेवा सत्वर पुष्कळसा अग्नि आण जाच कसा ॥जाळूं याचे हे कर आह्मां हा सोसवेल जाच कसा ॥३॥सभापर्व. N/A References : N/A Last Updated : February 23, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP