जगदंबे श्री गजवदन मदन जननी , सन्मती दे भजनी । श्री अमरेश्वरी भ्रमरे जय प्रविरे , जय जय एकविरे ।
वरद करे अमर वरे प्रबल उरे । समर घिरे-रेणुके प्रखरे मुखरे शिघरे सुहेरे । म्हणे विष्णुदास हरे जय नमोस्तु विश्वभरे आदीमाये । सतत मम वसे हृदय भवानी सन्मति दे भजनी ॥