संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|रेवा खण्डम्| अध्याय १२४ रेवा खण्डम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ अध्याय ९८ अध्याय ९९ अध्याय १०० अध्याय १०१ अध्याय १०२ अध्याय १०३ अध्याय १०४ अध्याय १०५ अध्याय १०६ अध्याय १०७ अध्याय १०८ अध्याय १०९ अध्याय ११० अध्याय १११ अध्याय ११२ अध्याय ११३ अध्याय ११४ अध्याय ११५ अध्याय ११६ अध्याय ११७ अध्याय ११८ अध्याय ११९ अध्याय १२० अध्याय १२१ अध्याय १२२ अध्याय १२३ अध्याय १२४ अध्याय १२५ अध्याय १२६ अध्याय १२७ अध्याय १२८ अध्याय १२९ अध्याय १३० अध्याय १३१ अध्याय १३२ अध्याय १३३ अध्याय १३४ अध्याय १३५ अध्याय १३६ अध्याय १३७ अध्याय १३८ अध्याय १३९ अध्याय १४० अध्याय १४१ अध्याय १४२ अध्याय १४३ अध्याय १४४ अध्याय १४५ अध्याय १४६ अध्याय १४७ अध्याय १४८ अध्याय १४९ अध्याय १५० अध्याय १५१ अध्याय १५२ अध्याय १५३ अध्याय १५४ अध्याय १५५ अध्याय १५६ अध्याय १५७ अध्याय १५८ अध्याय १५९ अध्याय १६० रेवा खण्डम् - अध्याय १२४ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय १२४ Translation - भाषांतर श्रीमार्कण्डेय उवाच -ततो गच्छेन्महीपाल नर्मदेश्वरमुत्तमम् ।तत्र तीर्थे नरः स्नात्वा मुच्यते सर्वकिल्बिषैः ॥१॥अग्निप्रवेशश्च जलेऽथवा मृत्युरनाशके ।अनिवर्तिका गतिस्तस्य यथा मे शङ्करोऽब्रवीत् ॥२॥॥ इति श्रीस्कान्दे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां पञ्चम आवन्त्यखण्डे रेवाखण्डे नर्मदेश्वरतीर्थमाहात्म्यवर्णनं नाम चतुर्विंशत्युत्तरशततमोऽध्यायः ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 15, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP